साली और जीजाजी की रोमांटिक रात – जब उसने मुझे छुआ बिना कपड़ों के

साली और जीजाजी की रोमांटिक रात – जब उसने मुझे छुआ बिना कपड़ों के

जब मेरी साली ने अकेली रात में मुझे बहकायाएक राज़ जो किसी को नहीं बताया

नेहावो साली जिसने मेरी रूह को छू लिया

मेरा नाम विवेक है। मैं एक साधारण नौकरीपेशा इंसान हूँ — घर, बीवी, बच्चे, सब कुछ सेट है। लेकिन एक रात ऐसा हुआ, जो मेरी ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल गया।

मेरी बीवी आरती मायके गई थी — कोई तीज त्योहार था — और बच्चों को भी साथ ले गई। घर में सन्नाटा था, लेकिन उसी शाम नेहा, मेरी साली, आ गई। वो अक्सर आती थी, लेकिन इस बार कुछ अलग था।

उस दिन नेहा ने हल्के गुलाबी रंग का टॉप पहना था, नीचे शॉर्ट्स। खुले बाल, हल्का मेकअप, और होठों पर एक रहस्यमयी मुस्कान।

“दीदी नहीं हैं, तो सोचा अकेले बोर हो रहे होंगे… मैं आ गई!”
उसकी आवाज़ में शरारत थी — और शायद कुछ और भी।

शाम से रात तक की पहली सरसराहट

शाम को हमने साथ खाना बनाया। वो जब मेरे पास खड़ी होती, तो उसके शरीर की गर्माहट मुझे छूती। उसने मुझे देखते हुए कहा —

“आपके हाथों से बनी सब्ज़ी खाकर तो प्यार हो जाएगा, जीजू!”

मैंने मुस्कुराकर कहा — “कभी किसी ने सच में किया है क्या?”
वो कुछ नहीं बोली, बस आँखों से मुझे देखने लगी… कुछ पिघलने लगा उस नज़र में।

वाइन, मूवी और उसके होंठों की नमी

रात को मैंने वाइन खोली — दोनों ने एक-एक ग्लास लिया। मूड हल्का था, मूवी रोमांटिक।

हम सोफे पर पास-पास बैठे थे। अचानक नेहा ने सिर मेरे कंधे पर रख दिया। उसकी जुल्फ़ें मेरी गर्दन को छू रही थीं। मेरी उंगलियाँ खुद-ब-खुद उसकी उंगलियों से मिलने लगीं।

“जीजू, कभी किसी और के लिए चाहत महसूस हुई है?”
“हाँ… शायद अभी हो रही है।”

पहला स्पर्शएक चिंगारी की शुरुआत

मैंने उसकी उंगलियाँ पकड़ लीं। वो सिहर गई। उसका चेहरा मेरी तरफ उठा — होंठों पर कंपन, आँखों में जलन सी गहराई।

मैंने बिना कुछ कहे उसकी ठोड़ी को उठाया… और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।

धीरे… बहुत धीरे… जैसे वक्त रुक गया हो।

उसके होंठ, उसका बदन और वो धीमी सिसकियाँ

चुंबन गहराता गया, और हम दोनों के शरीर पास आते गए। उसने मेरी गर्दन पर होंठ रखे और फुसफुसाई —

“छोड़िए ना, लेकिन पूरी तरह नहीं।”

मैंने उसे उठाया, और बिस्तर की ओर बढ़ा।

🛏️ बिस्तर परहम दोनों बिना कपड़ों के

मैंने उसकी टॉप की डोरी हल्के से खींची — और उसकी सांसें तेज़ हो गईं। उसके नाज़ुक कंधे उजागर हुए। फिर उसकी ब्रा खुली, और मैंने पहली बार देखा — वो पूरी तरह मेरी थी।

उसने मेरी शर्ट के बटन खोले, और अपने गाल मेरी छाती पर रख दिए।

हम दोनों अब एक-दूसरे के शरीर को बिना किसी कपड़े के महसूस कर रहे थे — सिर्फ कंबल हमारे बीच था, और उसका भी कोई मतलब नहीं रहा।

उसकी कमर, उसकी बड़ी गोल नितंबें, और मेरा आलिंगन

मैंने जब उसकी पतली कमर को पकड़ा और अपने करीब खींचा, तो उसके नितंब मेरे शरीर से चिपक गए।

“जीजू… और पास… मुझे पूरा महसूस करिए।”

मैंने उसे कसकर अपनी बाँहों में भर लिया। उसकी साँसें मेरी छाती से टकरा रही थीं। उसका बदन नर्म, गर्म और पूरा चाह से भीगा हुआ।

उसके अंगों पर मेरा स्पर्शधीमा, सधी हुई आग

मैंने उसके शरीर की हर रेखा पर अपनी उंगलियाँ फिराईं — गला, कंधा, पीठ, पेट, और उसके जांघें।

उसकी आँखें बंद थीं, होंठ खुले, और हल्की-हल्की सिसकियाँ…

“जीजू… हां… रुकिए मत… आज सब कुछ मेरा बना लीजिए…”

💞 हमारा मिलनरूह और जिस्म का संगम

हम दोनों ने एक-दूसरे को पूरी तरह जिया। मैंने उसकी हर आहट, हर सिसकी को अपने जिस्म में उतार लिया। उसकी गर्दन पर मैं अपने होंठों से उतरता गया, उसकी पीठ पर हाथ घुमाया… और जब उसके नितंबों को अपने सीने से चिपकाया, तो उसने खुद को और कस लिया।

वो पूरी तरह मेरी बाहों में समा चुकी थी — कांपती हुई, भीगी हुई, और पूरी तरह आत्मसमर्पण में।

🌌 पूरी रातकई बारकई पल

हम रुकते, फिर मिलते… फिर एक-दूसरे को देखते और मुस्कुराते।
कभी वो मेरे ऊपर होती, कभी मैं उसे अपने नीचे दबा लेता।

हर बार उसका शरीर मुझसे लिपट जाता, उसकी जाँघें मेरे चारों ओर लिपटी होतीं, और उसकी गर्म साँसें मेरी गर्दन में घुलतीं।

🌄 सुबह की पहली किरण

जब सुबह हुई, हम अब भी एक-दूसरे के आलिंगन में थे। बिना कपड़ों के, नग्न, लेकिन पूरे।

उसने मेरा चेहरा थामा और कहा —

“ये रात मुझे ज़िंदगी भर जिंदा रखेगी, जीजू।”

मैंने कहा — “हमने कोई गुनाह नहीं किया… बस एक अधूरी चाह को पूरा किया।”

📌 निष्कर्ष:

कभी-कभी एक रात… एक एहसास… ज़िंदगी की सबसे सच्ची हकीकत बन जाती है।
वो रात सिर्फ जिस्म का मिलन नहीं थी, वो आत्माओं का संगम था। नेहा मेरी साली थी, लेकिन उस रात वो सिर्फ एक औरत थी — जो चाहती थी, कि कोई उसे पूरी तरह महसूस करे। और मैंने उसे सिर्फ छुआ नहीं… जिया।

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