💃 कहानी शुरू होती है…
मेरा नाम अर्जुन है, उम्र 26 साल। मैं दिल्ली में नौकरी करता हूँ और कुछ समय पहले ही अपने भाई के घर शिफ्ट हुआ था, क्योंकि मेरी नई पोस्टिंग उसी शहर में लगी थी।
मेरे बड़े भाई की पत्नी भाभी – अंशिका — 29 साल की, लंबी, गोरी, और गज़ब की फिगर वाली। उसका सबसे खास पहलू था — उसका भारी-भरकम बदन, खासकर उसके मोटे, उभरे हुए चूचे — जो हर बार आँखों को मजबूर कर देते थे कि और देखा जाए।
वो हमेशा साड़ी या सूट पहनती थी, लेकिन उसका बदन कपड़ों से बाहर ही झलकता था। हर सुबह जब वो झुककर मुझे चाय देती, तो उनकी बड़ी, भारी छातियाँ मेरी नजरों को खींच लेतीं।
🍵 एक दिन की शुरुआत – जब कुछ बदला
एक दिन की बात है। भाई ऑफिस गया हुआ था और मैं घर पर ही था। भाभी ने मुझसे पूछा –
“अर्जुन, आज छुट्टी है क्या? घर में रहोगे?”
मैंने कहा – “हां भाभी, आज आराम का मूड है।”
भाभी ने हँसते हुए कहा – “तो आज मैं तुम्हारे लिए कुछ खास बनाऊंगी।”
वो किचन में गई, लेकिन जब लौटी तो उसने हल्की सी ट्रांसपेरेंट साड़ी पहन रखी थी — ब्लाउज़ इतना टाइट था कि उसके भारी स्तन फटने को तैयार लग रहे थे।
💥 पहला कनेक्शन – आँखों से स्पर्श
मैंने उसकी ओर देखा… और वो मुस्कुराई। उसकी आँखों में कुछ था — आमतौर पर नहीं दिखता था।
“तुम्हें लगता है अर्जुन, मैं मोटी होती जा रही हूँ?”
मैंने कहा – “नहीं भाभी, आप तो और ज़्यादा खूबसूरत लग रही हो।”
वो थोड़ी देर तक मुझे देखती रही, फिर झुककर चाय मेज़ पर रखी — और उसकी छातियाँ मेरी आँखों के ठीक सामने लटकने लगीं। मैंने नज़रें फेर लीं, लेकिन दिल तेजी से धड़कने लगा।
🔥 शाम – जब वो पास आ गई
शाम को उसने कहा — “आज कोई नहीं है, मूवी देखते हैं?”
मैंने हामी भरी।
टीवी के सामने बैठे थे, साड़ी उसकी जांघों से ऊपर उठी हुई थी, और ब्लाउज़ उसकी सांसों से हिल रहा था।
मैंने उसकी कमर की ओर देखा, फिर उसके चेहरे की ओर — और हमारी आँखें मिलीं।
उसने अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया… और मेरी उंगलियाँ उसके हाथ में फिसल गईं।
💏 पहला स्पर्श – उसकी चूचियों तक पहुंचने का रास्ता
मैंने उसकी उंगलियों को चूमा। उसने कोई विरोध नहीं किया।
मैंने धीरे-धीरे उसकी पीठ पर हाथ रखा — और वो कांप सी गई।
फिर एक पल में, जैसे सब रुक गया — मैंने उसका चेहरा अपनी तरफ घुमाया और होंठों पर किस कर दिया।
वो सिहर गई, लेकिन रुकने की कोशिश नहीं की।
🛏️ बेडरूम में – उसका पूरा बदन मेरी बाहों में
मैंने उसे गोदी में उठाया — और वो खुद को मेरी बाहों में समेटती गई।
जब उसे बेड पर लिटाया, उसने खुद अपने ब्लाउज़ के हुक खोल दिए। उसकी भारी, गोरी और मुलायम छातियाँ मेरी आँखों के सामने थीं।
मैंने उन्हें धीरे-धीरे दोनों हाथों से पकड़ा… जैसे कोई मोम की मूर्ति को थामे।
“छोड़ो मत अर्जुन… मुझे तुम्हारी ज़रूरत है,” वो फुसफुसाई।
मैंने उन्हें चूमा, सहलाया, और अपनी ज़बान से उसकी नमी को चखता रहा।
💦 उसकी जांघें, उसकी सिसकियाँ, और मेरा आलिंगन
मैंने जब उसकी साड़ी पूरी तरह हटाई, तो उसके नीचे कुछ नहीं था। उसकी जांघों को सहलाते हुए मैंने अपनी उंगलियाँ उसके भीगे हिस्से तक पहुँचाईं।
वो हांफ रही थी — और अपनी दोनों टांगें मेरी कमर में लपेट चुकी थी।
“मुझे पूरा लो अर्जुन… आज सब कुछ तुम्हारा है।”
🔁 कई पोज़िशन, कई बार – एक जुनून
हम दोनों रात भर रुक-रुक कर एक-दूसरे में खोते रहे।
कभी वो मेरे ऊपर, कभी मैं उसके पीछे से — उसकी बड़ी चूचियाँ हर बार मेरे चेहरे से टकरातीं।
उसका नितंब भारी था — और जब मैं उसे पकड़ कर अपने शरीर से लगाता, तो ऐसा लगता जैसे दो आग की लपटें टकरा रही हों।
🌅 सुबह की थकी लेकिन तृप्त मुस्कान
जब आँख खुली, तो भाभी मेरे सीने पर थी — बिना कपड़ों के।
उसने मुस्कुराकर कहा —
“तुमने मुझे औरत की तरह जिया है, अर्जुन… आज के बाद मैं अधूरी नहीं हूँ।”
📌 निष्कर्ष:
भाभी और देवर का रिश्ता इस समाज में बहुत सीमित समझा जाता है। लेकिन जब भावनाएं, स्पर्श और अधूरी चाहतें मिलती हैं, तो शरीर के बंधन टूट जाते हैं।
उस रात भाभी सिर्फ मेरी भाभी नहीं थी — वो एक औरत थी जो चाहती थी कि कोई उसे पूरा महसूस करे।